ब्लागर खेले होली रे भैया, ब्लागिन खेले होली हो
होली है ... होली है ....
सारा रा रा रा रा होली है ....
अरे भैया, हमको आज रोको मत , हम नशे में हूँ । भर्चुअल भाँग की गोली खिला दी है रमणजी ने । मैं ज्यादा तो नहीं बोला न ।
देवाशीषदा के यहाँ कौन नहीं जायगा आज, बताइये कौन नहीं जायगा , सब जाएगा, सब जाएगा । देवाशीषजी.... हमारी टोली आ रही है, रेडी रहिए। जब सब ब्लागर देवाशीषजी का असपेसल दही-बङे खायगा तो वहीं डेरा जमा लेगा। ओ भैया जीतूजी, एक गिलास आप भी पियो न, कमेंट भी तो करना है । इंद्रजी आसन से उतरो भैया, लो शिव का भांग पियो । कैसा लगा, नहीं पियोगे, हमारी बात समझ में नइखे आवेगी । स्वामीजी क्या हुआ, ध्यान तोङिए भाईसाब, हम भी तो जाने कि आज नशे का क्या रंग गेस किया है आपने।
बलागर दारु नही पीते, कभी नहीं पीते। आस्तिक – नास्तिक हम सब बस भर्चुअल भंगेरिये हैं,बस वही हमलोग आज पिये हैं। दारु का दो बोतल तो डांडी के समुन्दर किनारे मिला है, कुछ नमकहरामों ने जो पी छोङा था । खद्दरधारी मालिक तो फोटो खिंचवाकर निकल गये । बुरा मत मानों होली है । रतिजी बताइये तो जरा, ये भले घर के नेता पतंगे क्यों उङाते हैं ।
अरुणजी, मेरे लिए दो भैया एक और ग्लास, प्लीज...., पी लेने दो पहली बार और अंतिम बार खाली आज भर।
अरे भैया आप जापान के कोने में क्यों बैठे हो, रंगों की पोटली तो खोल दिए कई दिन पहले से ही । हमको भी लगा दो न । सब हिन्दुस्तानी को एके धरम में रंग दो न । हाँ थोङा फुर्ती का भी रंग डाल दो, वही जापानी कलर । यहाँ सबको पुकार- पुकार कर अक्षरग्राम-अनुगूंज में बुलाना पङता है । थोङा आप भी लगा लो, आपका भी आलस्य खतम हो जाएगा ।
मानोशीजी , एक गजल गाकर चुप क्यों हो गयीं आप । बांग्ला बुजेन तो । दोलेर एकटा गान करुन ना प्लीज ।
ऐ लिजिए पंकजजी आ गये । इतना पकौङा, पंकजजी कौन खायगा इतना । वाह क्या खुब बने हैं।
आशीषजी , अतुलजी दिखा दिजिए ना उस दिन वाला ठुमका , मजा आ जाएगा ।
होली है ... होली है ...
बुरा मत मानो होली है ।
शैल भैया आप भी अनुप भैया के साथ क्या ग्लास लेकर वहाँ बैठे हो , यहाँ आओ बलागिंग होली है , लो रतिजी के यहाँ से आये हुए बङे खाओ । मानोशीजी के यहाँ से आये मालपुआ तो ज्यादातर रणवीरजी पहले ही साफ कर दिए हैं ।
हो भाईलोग, टाईम केतना हुआ, देवाशीषदा के यहाँ जाना है कि नहीं। अब सब उठो रे भैया, हाथ पकङो , आशीषजी एक बार और लगाके वही ताल, हाँ मनीषजी बजाइये ना हरमुनियम मस्ती का ।
ग्वाला खेले होली रे भैया, ग्वालिन खेले होली हो ।
ब्लागर खेले होली रे भैया, ब्लागिन खेले होली हो ।
हमहें खेले होली रे भैया, तुम्हें खेले होली हो ।
होली है ... होली है ... होली है ...
5 टिप्पणी
रंग खूब चढ़ा है.नशा उतर गया हो तो एक गोली और ले लो.
जबरदस्त होली खेली है आपने प्रेम भाई
बधाई
रति
अररे, अररे, छोड़ो भई, छोड़ो, हम भांग नही खाता हूँ......अररे अरे.....मत खिलाओ यार! नशा चढ जायेगा, ........................सारे लोग भांग खाये दिखत है......ये क्या खिला दिया यार! सर चकरा रहा है......$#*&0000 0000 0000 सब कुछ गोल गोल घूम रहा है, लेकिन मजा बहुत आ रहा है, आओ जरा कुछ डान्स डून्स कर लिया जाये, तबहिं तो फगुवा का मजा आइ, का कहते हो, बबुबा?
जय हो बँधु क्या होली है, आपके प्रेमरंग में सब सराबोर हैं!
होली के बाद "जूर-शीतल" कैसा रहा, ये भी बताइएगा प्रेमजी।
एक टिप्पणी भेजें
<< चिट्ठे की ओर वापस..