एक ब्लाग या पाती ।
एक ब्लाग या पाती ।
चिट्ठी की हुई विदाई,
चिट्ठा से हुई सगाई,
भावों के ससुराल चली,
ले भानुमती की पिटारी,
एक ब्लाग या पाती ।
मुक्त आकाश के तले,
अदृश्य तंतुओं से जुङे,
सहस्र आँखे फिर यहाँ,
अपनापन लिए पढती हैं,
एक ब्लाग या पाती ।
लेखनी के प्रवाह से,
कुंजीपटल पर स्पंदित,
अनवरत इन पन्नों में,
स्वतंत्रता की अभिलाषी,
एक ब्लाग या पाती ।
समाज का दर्पण यह,
वैचारिक चपल चौपाल,
बिना किसी लाग-लपेट,
लिखते हैं स्वजन,
एक ब्लाग या पाती ।
मिलकर बातें करें हम,
अंतिम अनावरण से पहले,
बिना आवरण के जब लिखे,
शाश्वत हो जाती है फिर,
एक ब्लाग या पाती ।
ह्रदय के वाद्ययंत्र को
यहाँ कलम के कलाकार,
क्या खूब बजाते हैं, फिर
मिलकर एक नाम देते हैं,
एक ब्लाग या पाती ।
अनजानों से डरकर भी,
विश्वास की ही आशा में,
स्थापित करते हम संवाद,
मिला अनोखा माध्यम है,
एक ब्लाग या पाती ।
लेखनी की स्याह होती
आँसू की अनवरत धारा,
आप हमारे संग होते है,
लिखते है सांत्वना की,
एक ब्लाग या पाती ।
विचारों की कुछ ऐसी लहरें,
क्षण या जीवन भर के लिए,
एक बंधन में बाँधते, जैसे
अनजान नाविकों का यात्रा,
एक ब्लाग या पाती ।
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